प्राक्कथन
‘विकल्प’ अखिल भारतीय जनवादी सांस्कृतिक-सामाजिक मोर्चा का गठन २३-२४ जून को कोटा ( राज.) में आयोजित अखिल भारतीय सम्मेलन में हुआ।
देश के १३ प्रांतो से आए २४४ प्रतिनिधि लेखकों, रंगकर्मियों, चित्रकारों, लघु पत्रिका संपादकों, पत्रकारों एवं अन्यान्य कलाओं से संबद्ध कलाकारों का साम्राज्यवाद के विरुद्ध जनप्रतिरोध जागरण अभियान और अपसंस्कृति के प्रसार के विरुद्ध मोर्चा लगाने और इसी हेतु सभी प्रगतिशील जनवादी संस्कृतिकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की व्यापक एकता के आधार पर देशव्यापी प्रभावशाली सांस्कृतिक-सामाजिक आंदोलन निर्मित करने की जरूरत को रेखांकित किया तथा इस हेतु एक संगठन का निर्माण किया।
एक विचारधारात्मक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से इसका आधार बनाया गया एवं संविधान तथा कार्यभार और कार्यक्रम तय किए गए।
हमारा सोचना रहा कि सही विचार के साथ सक्रियता का वातावरण बनाए बिना, व्याप्त जड़ता और उत्साहहीनता को नहीं तोड़ा जा सकता, पहले हम लोग काम शुरू करें। हम साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों और सामाजिक शैक्षणिक कार्यकर्ताओं से अपील करते हैं कि यदि हमारे विचारधारत्मक प्रस्ताव और संविधान की मूल भावनाओं से आप सहमत हैं तो हमारे साथ आईए। हम आपके साथ मिलकर एक व्यापक जनवादी सांस्कृतिक-सामाजिक आंदोलन के निर्माण के लिए काम करना चाहते हैं। स्थानीय अथवा बड़े स्तर पर अनेक समूह-संस्थाएं भी हमारी ही तरह सोचते हुए सक्रिय हैं, हम उनसे भी अपील करते हैं कि वे हमारे साथ संबद्ध हों।
‘विकल्प’ अखिल भारतीय जनवादी सांस्कृतिक-सामाजिक मोर्चा अन्य जनवादी प्रगतिशील साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संगठनों के विरुद्ध लक्षित नहीं है। वह तो साम्राज्यवाद के विरुद्ध लक्षित है। अपसंस्कृति के विरुद्ध लक्षित है। मज़दूरों, किसानों, दलितों, नारियों और आदिवासियों के उत्पीड़क सामंतवाद पूंजीवाद के विरुद्ध लक्षित है। यह जड़ता और निष्क्रियता के विरुद्ध लक्षित है। जनपक्षधरता और वैचारिक प्रतिबद्धता से किनाराकशी के विरुद्ध लक्षित है। साम्राज्यवादी केन्द्रों से आ रही जनविरोधी विचारधाराओं से अनुकूलन के विरुद्ध लक्षित है। और इस लक्ष्य हेतु सबके साथ चलने और सबको साथ लेने की दिशा में लक्षित है।
आओ कि साथ चलें। पहले ही बहुत विलम्ब हो चुका है। अब बिना कोई वक़्त गंवाए शुरू करें, यह हमारा ऐतिहासिक दायित्व है - इसका निर्वाह करें।
देश के १३ प्रांतो से आए २४४ प्रतिनिधि लेखकों, रंगकर्मियों, चित्रकारों, लघु पत्रिका संपादकों, पत्रकारों एवं अन्यान्य कलाओं से संबद्ध कलाकारों का साम्राज्यवाद के विरुद्ध जनप्रतिरोध जागरण अभियान और अपसंस्कृति के प्रसार के विरुद्ध मोर्चा लगाने और इसी हेतु सभी प्रगतिशील जनवादी संस्कृतिकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की व्यापक एकता के आधार पर देशव्यापी प्रभावशाली सांस्कृतिक-सामाजिक आंदोलन निर्मित करने की जरूरत को रेखांकित किया तथा इस हेतु एक संगठन का निर्माण किया।
एक विचारधारात्मक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से इसका आधार बनाया गया एवं संविधान तथा कार्यभार और कार्यक्रम तय किए गए।
हमारा सोचना रहा कि सही विचार के साथ सक्रियता का वातावरण बनाए बिना, व्याप्त जड़ता और उत्साहहीनता को नहीं तोड़ा जा सकता, पहले हम लोग काम शुरू करें। हम साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों और सामाजिक शैक्षणिक कार्यकर्ताओं से अपील करते हैं कि यदि हमारे विचारधारत्मक प्रस्ताव और संविधान की मूल भावनाओं से आप सहमत हैं तो हमारे साथ आईए। हम आपके साथ मिलकर एक व्यापक जनवादी सांस्कृतिक-सामाजिक आंदोलन के निर्माण के लिए काम करना चाहते हैं। स्थानीय अथवा बड़े स्तर पर अनेक समूह-संस्थाएं भी हमारी ही तरह सोचते हुए सक्रिय हैं, हम उनसे भी अपील करते हैं कि वे हमारे साथ संबद्ध हों।
‘विकल्प’ अखिल भारतीय जनवादी सांस्कृतिक-सामाजिक मोर्चा अन्य जनवादी प्रगतिशील साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संगठनों के विरुद्ध लक्षित नहीं है। वह तो साम्राज्यवाद के विरुद्ध लक्षित है। अपसंस्कृति के विरुद्ध लक्षित है। मज़दूरों, किसानों, दलितों, नारियों और आदिवासियों के उत्पीड़क सामंतवाद पूंजीवाद के विरुद्ध लक्षित है। यह जड़ता और निष्क्रियता के विरुद्ध लक्षित है। जनपक्षधरता और वैचारिक प्रतिबद्धता से किनाराकशी के विरुद्ध लक्षित है। साम्राज्यवादी केन्द्रों से आ रही जनविरोधी विचारधाराओं से अनुकूलन के विरुद्ध लक्षित है। और इस लक्ष्य हेतु सबके साथ चलने और सबको साथ लेने की दिशा में लक्षित है।
आओ कि साथ चलें। पहले ही बहुत विलम्ब हो चुका है। अब बिना कोई वक़्त गंवाए शुरू करें, यह हमारा ऐतिहासिक दायित्व है - इसका निर्वाह करें।
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