द्वितीय शिवराम स्मृति दिवस समारोह
जन सांस्कृतिक आंदोलन खड़े करने होंगे
अपरान्ह 3 बजे
‘‘सांस्कृतिक नव जागरण: परिदृश्य एवं संभावनाऐं’’ विषय पर आयोजित परिचर्चा
में दिल्ली, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश व अन्य स्थानों के जाने-माने
साहित्यकारों ने अपने विचार व्यक्त किये। विशिष्ट-अतिथि हरेराम ‘समीप’ (
फरीदाबाद ) ने कहा कि कार्पोरेट घरानों और शासक दलों की सांठ-गांठ के चलते
विषमता और असमानता चरम पर पहुंच गई है। सांस्कृतिक क्षरण भी चरम पर है।
ऐसे दुर्योधन-वक्त में व्यापक जन-आंदोलन खड़ा करने के लिए जनता को जगाना
होगा। शैलेन्द्र चैहान ( दिल्ली ) ने कहा कि हमें सामंती संस्कृति के
मुकाबले नई वैकल्पिक संस्कृति का निर्माण करना होगा। डॉ. रामशंकर तिवारी (
फरीदाबाद ) ने कहा कि सामंतवादी संस्कृति आज भी समाज में मौजूद है।
दक्षिणपंथी ताकतें पुनरुत्थान आंदोलन चला रही हैं। दलितों, आदिवासियों और
महिलाओं से भेदभाव के संस्कार हमारे व्यक्तित्व में अंदर तक है।
तीज-त्यौहार भी बाजारवादी संस्कृति के हवाले होते जा रहे हैं।
डॉ.
मंजरी वर्मा ( मुजफ्फरपुर ) ने कहा कि हमारी संस्कृति में पाश्चात्य
संस्कृति के प्रभाव से कई तरह की खामियां पैदा हो गई हैं। शिवराम ने जिस
तरह गांव-गांव जाकर नाटकों के मंचन से जन-संस्कृति की अलख जगाई थी, उसी
तर्ज पर हमें जुटना होगा। नारायश शर्मा ( कोटा ) ने कहा कि संस्कृति के
क्षेत्र में घालमेल नहीं होना चाहिए। मीडिया दिन-रात मुट्ठीभर अमीरों की
संस्कृति का प्रचार कर रहा है, सांस्कृतिक नव-जागरण के लिए करोड़ों गरीबों
व मेहनतकशों की संस्कृति का परचम ही उठाना होगा। पटना से आये विजय कुमार
चैधरी ने कहा कि इन दिनों प्रगतिशील-जनवादी संस्कृतिकर्मियों व उनकी
पत्रिकाओं के बीच भी रहस्यवाद, भाग्यवाद व कलावाद के पक्षधर स्थान पाने
लगे हैं, इस प्रवृत्ति को रोका जाना चाहिए। डॉ. रवीन्द्र कुमार ‘रवि’ ने
समाहार करते हुए कहा कि इस समय बाजारवादी - सामंती संस्कृति अपने पतन की
पराकाष्ठा पर है तथा आम-जन को गहरे भटकावों में फॅंसा रही है। ऐसे समय में
हमें भारतेन्दु, प्रेमचन्द, राहुल, निराला, नागार्जुन, यादवचन्द्र व
शिवराम की तरह जनता को जगाने के लिए देशव्यापी सांस्कृतिक अभियान छेड़ना
होगा।
जन सांस्कृतिक आंदोलन खड़े करने होंगे
कोटा, 2 अक्टूबर 2012.सुप्रसिद्ध
कवि, नाट्य लेखक, निर्देशक, समीक्षक एवं विचारक शिवराम के द्वितीय स्मृति
दिवस पर ‘विकल्प’ जन सांस्कृतिक मंच, श्रमजीवी विचार मंच एवं अभिव्यक्ति
नाट्य एवं कला मंच द्वारा 30 सितम्बर व 1 अक्टूबर को ‘आशीर्वाद हॉल’ कोटा
में दो दिवसीय वृहत साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजन किया गया। इस आयोजन का
उद्देश्य शिवराम द्वारा जीवन-पर्यन्त साहित्य, संस्कृति, समाज, राजनीति
एवं विविध क्षेत्रों में किये गये प्रयत्नों को एकसूत्रता में पिरोना,
उनकी स्मृति को संकल्प में तथा शोक को संकल्प में ढालने का साझा प्रयास
था। आयोजन में देश के विभिन्न हिस्सों से आमंत्रित लेखकों व
संस्कृतिकर्मियों के अलावा हाड़ौती-अंचल के करीब दो सौ से अधिक रचनाकार,
श्रोता व पाठक शामिल हुए।
इस महत्वपूर्ण आयोजन में जनवादी
रचनाकारों व संस्कृतिकर्मियों ने बाजारवादी अप-संस्कृति एवं सामन्ती
संस्कृति के खिलाफ नई जनपक्षधर संस्कृति का विकल्प खड़ा करने की जरूरत
बताई। साथ ही बताया कि पूंजीवादी राजनीति का घिनौना चेहरा जनतांत्रिक
मूल्यों को तहस-नहस कर रहा है। ऐसे में व्यापक जन-आंदोलन का माहौल बनाना
होगा। आयोजन का प्रारम्भ 30 सितम्बर को मुख्य अतिथि, ‘विकल्प’ अ.भा.
जनवादी सांस्कृतिक सामाजिक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र
कुमार ‘रवि’ ( मुजफ्फरपुर ) द्वारा मशाल प्रज्ज्वलित करके किया गया।
सुप्रसिद्ध भोजपुरी गायक दीपक कुमार ( सीवान ) की अगुआई में मोर्चा के
बैनर-गीत ‘ये वक्त की आवाज है मिल के चलो’ के पश्चात् वासुदेव प्रसाद (
गया) , प्रशांत पुष्कर ( सीवान ) एवं शरद तैलंग ( कोटा ) द्वारा शिवराम के
जन-गीतों तथा गण-संगीत की प्रभावी प्रस्तुति की गई। ‘विकल्प’ जनसांस्कृतिक
मंच के सचिव शकूर अनवर द्वारा स्वागत-वक्तव्य में अतिथियों का स्वागत करते
हुए आयोजन के उद्देश्यों को स्पष्ट किया गया।
परिचर्चा में विचार व्यक्त करते हरेराम ‘समीप’ ( फरीदाबाद ) |
परिचर्चा में विचार व्यक्त करते शैलेन्द्र चौहान ( दिल्ली ) |
परिचर्चा में विचार व्यक्त करते डॉ.रामशंकर तिवारी ( फरीदाबाद ) |
परिचर्चा में विचार व्यक्त करते विजय कुमार चौधरी ( पटना ) |
परिचर्चा में विचार व्यक्त करते डॉ. रविन्द्र कुमार ‘रवि’ ( मुज़फ्फरपुर ) |
अध्यक्ष मण्डल की ओर से बोलते हुए तकनीकी विश्वविद्यालय के
कुलपति प्रो. आर.पी. यादव ने कहा कि किसी भी देश के विकास में विचार की
मुख्य भूमिका होती है। डॉ. नरेन्द्रनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि जागरूक
संस्कृति कर्म द्वारा समाज की प्रचलित रूढि़यों व मूल्यहीनता को एक हद तक
रोका जा सकता है। परिचर्चा में टी.जी. विजय कुमार, शून्य आकांक्षी,
वीरेन्द्र विद्यार्थी एवं विजय सिंह पालीवाल ने भी अपने विचार व्यक्त
किये। संचालन महेन्द्र नेह ने किया।
समारोह के दूसरे दिन 1
अक्टूबर, 12 को शिवराम द्वारा लिखित नाटक ‘नाट्य-रक्षक’ की बेहद
प्रभावशाली प्रस्तुति ‘अनाम’ कोटा के कलाकारों द्वारा की गई। नाटक में
वर्तमान ‘मतदान-पद्धति’, जिसे भारतीय लोकतंत्र का आधार बताकर प्रचारित
किया जाता है, का चरित्र पूरी तरह पैसे और बाहुबल द्वारा निर्धारित हो
जाने पर करारा व्यंग्य किया गया। अजहर अली द्वारा निर्देशित इस नाटक में
प्रमुख पात्रों की भूमिका डॉ पवन कुमार स्वर्णकार, भरत यादव, रोहित
पुरुषोत्तम, आकाश सोनी, तपन झा, गौरांग, देवेन्द्र खुराना, राकेश, सचिन
राठौड़ व अजहर अली ने निभाई। गया से पधारे नाट्य-कर्मी वासुदेव एवं कृष्णा
जी द्वारा प्रेमचन्द की कहानी ‘सद्गति’ की मगही भाषा में प्रभावी
नाट्य-प्रस्तुति भी की गई।
इस अवसर पर ‘विकल्प’ अखिल भारतीय जनवादी
सांस्कृतिक सामाजिक मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी सम्पन्न
हुई। बैठक में मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव महेन्द्र नेह द्वारा प्रस्तुत
प्रतिवेदन में अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय परिस्थितियों में आ रहे
महत्वपूर्ण परिवर्तनों को रेखांकित करते हुए साहित्य व संस्कृति के
क्षेत्र में शहर से गांवों तक जन-संस्कृति की मुहिम छेड़ने, देशभर में
प्रगतिशील जनवादी लेखकों व संस्कृतिकर्मियों के बीच व्यापक एकता विकसित
करने तथा संस्कृतिकर्म को मेहनतकश जनता के जीवन-संघर्षों से जोड़ने पर बल
दिया गया। बैठक में संगठन को मजबूत करने के साथ आगामी कार्यक्रम की
रूपरेखा भी निर्धारित की गई।
इस समारोह में रवि कुमार ( रावतभाटा )
द्वारा, कविता-पोस्टर प्रदर्शनी और ‘विकल्प’ द्वारा एक लघु-पुस्तिका
प्रदर्शनी भी लगाई गई थी जिसमें दर्शकों और पाठकों ने अपनी गहरी रुचि
प्रदर्शित की। ‘कविता पोस्टर प्रदर्शनी’ का उद्घाटन तकनीकी विश्वविद्यालय
के कुलपति प्रो. आर.पी. यादव द्वारा किया गया। इस अवसर पर शिवराम की पत्नी
श्रीमती सोमवती देवी एवं अन्य अतिथियों द्वारा महेन्द्र नेह द्वारा
संपादित ‘अभिव्यक्ति’ पत्रिका के शिवराम विशेषांक का लोकार्पण किया गया।
1
अक्टूबर को दूसरे सत्र में वृहत् कवि-सम्मेलन एंव मुशायरे का आयोजन किया
गया। जिसकी अध्यक्षता निर्मल पाण्डेय व अखिलेश अंजुम ने की। विशिष्ट अतिथि
जनवादी कवि अलीक ( रतलाम ), मदन मदिर ( बूंदी ) व सी.एल. सांखला (
टाकरवाड़ा ) सहित अंचल के प्रतिनिधि कवियों व शायरों ने अपनी प्रतिनिधि
रचनाओं का पाठ किया। ओम नागर, हितेश व्यास व उदयमणि द्वारा शिवराम को
समर्पित कविताऐं सुनाईं। संचालन आर.सी. शर्मा ‘आरसी’ द्वारा किया गया।
स्वागत-समिति की ओर से दिनेशराय द्विवेदी, जवाहरलाल जैन, धर्मनारायण दुबे,
शब्बीर अहमद व परमानन्द कौशिक द्वारा सभी अतिथियों व सहभागियों के प्रति
धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
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